आधुनिक संज्ञानात्मक मनोविज्ञान

Authors

Dr. Syed Mohammad Bakhteyar Fatmi

Keywords:

मनोविज्ञान, आधुनिक, संज्ञानात्मक, संज्ञानात्मक विकास, विकास, मनोभौतिकी

Synopsis

आधुनिक संज्ञानात्मक मनोविज्ञान के प्रथम संस्करण के प्रकाशन पर मुझे बहुत खुशी और संतोष हो रहा है। हम जानते हैं कि मनोविज्ञान का क्षेत्र निरंतर विकसित हो अध्ययन एंव शोध की नई दिशाएँ उभर रही है। 'संज्ञानात्मक मनोविज्ञान' उनमें से एक नवीनतम क्षेत्र हैं। इसके अंतर्गत विभिन्न मानसिक प्रकियाओं जैसे प्रत्यक्षण, चिंतन अधिगन, स्मरण बुद्धि आदि के महत्व पर प्रकाश डाला जाता है। संज्ञानात्मक मनोविज्ञान में इन सभी मानसिक कियाओं, इनके सिद्धांतों नियमों एवं कारकों का अध्ययन किया जाता है| मनोविज्ञान की यह शाखा हमें अपने परिवेश और उसमें घटित घटनाओं की जानकारी तथा ज्ञान देकर उससे अभियोजित करने में सहायक है| यह पुस्तक स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम पर आधारित है। चुंकि, अब अनेक विश्वविद्यालयों में स्नातक स्तर पर भी 'संज्ञानात्मक मनोविज्ञान' को पाठ्यक्रम में सम्मिलित कर लिया गया है। अत: आशा है कि दोनों ही स्तरों पर यह पुस्तक उपयोगी होगी।

मनोविज्ञान विषय के एक छात्र, शोधार्थी और शिक्षक के रूप मे अपनी लगभग चार दशक की यात्रा में मैंने विषय से संबंधित छात्रों की उत्सुकता एवं समस्या, दोनों को बहुत गहराई से देखा एवं समझा है| इस अनुभव का उपयोग पुस्तक में विषय को रूचिकर ढंग से प्रस्तुत करने में हुआ है। इसी उद्देश्य से पुस्तक की भाषा को यथासंभव सरल रखने का प्रयास किया गया है। यह पुस्तक गुरूवार प्रो. (डॉ.) दिनेशचंद्र कोचर जी को । समर्पित है। इंटरमीडिएट के दिनों से ही उनका स्नेहिल सान्निध्य मुझे प्राप्त रहा है। यह पुस्तक उनकी प्रेरणा, प्रोत्साहन एवं आशीर्वाद से संभव हो पाई है।

इस पुस्तक के लेखन में जिन स्त्रोतों का प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रूप से उपयोग हुआ है, उनके लेखकों प्रकाशकों का मैं आभारी हुँ। जिन मित्रों एवं सहकर्मियो ने विविध रूप से इसे प्रस्तुत करने में मदद पहुंचाई है, उनके प्रति मैं कृतज्ञ हुँ। पत्नी और पुत्रों के सहयोग के विना यह प्रस्तृति संभव नहीं हो पाती, उनके लिए क्या कहुँ। उनके लिए कुछ कहना, औपचारिक होना होगा। इस पुस्तक के सुरुचिपुर्ण एवं ससमय प्रकाशन के लिए मैं प्रकाशक के प्रति आभार व्यक्त करता हुँ। विद्वत् जनों से आग्रह है कि पुस्तक की त्रुटियों एवं कमियों से अवगत कराएं। उनकी सदाशयता के लिए मै ऋणी रहुँगा| डॉ. सै. मो. बख्तेयार फातमी

Published

November 27, 2020 — Updated on April 26, 2021

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ISBN-13 (15)

978-81-947839-9-2

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