वर्तमान समाज एवं दिव्यांग बालक की समस्याएं

Authors

डॉ. राजेश मौर्य; डॉ. तेजाराम नायक ; डॉ. विनय प्रताप सिंह ; डॉ. विजय कुमार साहू ; श्रीमती ममता पांडे ; छाया साव ; नयना पहाड़िया ; डी. पी. कोरी; भारती कोरी ; हेमलता वर्मा ; श्रीमती मेनका चंद्राकर ; शत्रुघन पटेल ; डॉ. नम्रता माहेश्वरी; प्रिया सिंह ; डॉ. प्राची अनर्थ

Keywords:

वर्तमान समाज, दिव्यांग बालक की समस्याएं, विकलांग लोगों की स्थिति, दिव्यांग बालकों की मानसिक समस्याऍ, दिव्यांगों की विवाह संबंधी समस्याऍ, कार्यस्थल पर दिव्यांग की समस्याऍ, दिव्यांग बालक की शैक्षिक समस्याएं, मन्द बुद्धि बालकों की प्रमुख समस्याएँ, समाज और साहित्य में विकलांगता का अध्ययन, वर्तमान परिपेक्ष्य में दिव्यांग बालक, दिव्यांगता की समस्या एवं समाधान, दिव्यांग बालकों की शैक्षणिक स्थिति एवं समस्यायें, व्यावसायिक समस्याओं का अध्ययन, परिवारिक समस्या, सामाजिक समस्या एक अध्ययन

Synopsis

हमारे समाज में एक ऐसा वर्ग भी है जिन्हें हम विकलांग बालक या दिव्यांग बालक कहते हैं। हमारे प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने दिव्यांग शब्द का उपयोग विकलांग व्यक्तियों के लिए दिसंबर 2015 को ‘मन की आवाज’ रेडियो प्रोग्राम में किया था। उनका यह मानना था, कि दिव्यांग उनको कहा जाता है जिनके पास ईश्वर द्वारा दी गई एक विशिष्ट क्षमता है, जिसका उपयोग करते हुए वह व्यक्ति अपने जीवन को सुचारू और सरल बनाते हैं। संयुक्त राष्ट्र के द्वारा दिव्यांगता के प्रति संवेदनाओ को बढ़ाने के लिए 3 दिसंबर को ‘विश्व दिव्यांग दिवस’ के रूप में घोषित किया गया है। इस दिवस का मुख्य उद्देश्य लोगों को दिव्यांगता के मुद्दे के प्रति जागरूक करना और समझ बढ़ाना है। प्रत्येक विशिष्ट बालक चाहे वह शारीरिक रूप से दिव्यांग हो, मंदबुदि बालक हो, मानसिक रूप से दिव्यांग हो, अधिगम निर्याेग्य बालक हो, सामाजिक रूप से कुसमायोजित बालक हो या पिछड़े बालक हो आदि, ऐसा कोई भी बालक जिसे अपने वातावरण में समायोजन करने में दिक्कत आती है, वह दिव्यांग बालक की श्रेणी में आता है। अर्थात ऐसा व्यक्ति जिसके शारीरिक
अंग में कोई खराबी हो एवं वह सामान्य व्यक्ति की तरह अपना सामान्य काम करने में अक्षम हो दिव्यांग कहलाता है।

“जिंदगी में जीत पाने की कोशिश इनकी, दिव्यांग होना नहीं कमी करेगा हिम्मत इनकी, मन के इरादे मजबूत इतने इनके, जो चाहते हैं वो मेहनत से ये जरूर पाते हैं” गंभीर दिव्यांगता की श्रेणी में 1.3 बिलियन लोग अनुमानित आते हैं जो हमारी दुनिया की आबादी का 16% या प्रत्येक 6 व्यक्ति में से 1 व्यक्ति है। दिव्यांगता से मानव जीवन कई रूप से प्रभावित हो सकता है। किसी बच्चे में दिव्यांगता कुछ अधिक पाई जाती है, और किसी बच्चो में कुछ कम मात्रा में दिव्यांगता पाई जाती है। दिव्यांगता का प्रभाव बालक और उसके पूरे परिवार की मनोदशा पर पड़ता है। सामान्य व्यक्ति की अपेक्षा दिव्यांग व्यक्तियों में अवसाद, अस्थमा, मधुमेह, मोटापा, स्ट्रोक तथा खराब मौखिक स्वास्थ्य जैसी बीमारी का विकसित होना दोगुना होता है। जिसके कारण प्रत्येक दिव्यांग व्यक्ति अपने जीवन में तनाव, कुंठा और संघर्षों का अधिक सामना करते हैं जिससे उनमें व्यवहारगत विकृतियां विकसित होने की अधिक संभावना होती है, तथा कार्य करने की क्षमताओं की स्थितियां दिव्यांग व्यक्तियों की सामाजिक, संवेगात्मक समस्याओं को ज्यादा बढ़ाती है, जिसके कारण उन में चिंता एवं खिन्नता के भाव उभरने लगते हैं। जो उन्हें अपने वातावरण में समायोजित होने नहीं देती है। यदि किसी कारणवश किसी बच्चे में शारीरिक अपंगता एक से ज्यादा प्रकार की होती है, तो उस बालक का प्रभावी रूप से सामाजिक कार्य करने की क्षमता अधिक घटती जाती है।

सामान्य व्यक्ति की तुलना में कुछ दिव्यांग व्यक्ति पहले मर जाते हैं। दिव्यांग व्यक्तियों के लिए दुर्गम एवं महंगी परिवहन सुविधा सामान्य व्यक्तियों की तुलना में 15 गुना अधिक महंगी और कठिन होती है जिन्हें वे आसानी से प्राप्त नहीं कर पाते हैं। दिव्यांग व्यक्ति एक विविध समूह है, और लिंग, आयु, यौन अभिविन्यास, लिंग पहचान, जाति, धर्म, जातीयता और उनकी आर्थिक स्थिति जैसे कारक जीवन में उनके अनुभवो और उनके स्वास्थ्य आवश्यकताओं को प्रभावित करते हैं। जिससे उनका स्वास्थ्य खराब हो जाता है, और दूसरों की तुलना में रोजमर्रा के कामकाज में अधिक कठिनाइयों का अनुभव करते हैं। दिव्यांग व्यक्तियों को अपने समुदाय में कई सामाजिक समस्याओं का सामना करना पड़ता है। विविध प्रकार की दिव्यांगता के विभिन्न श्रेणी वाले व्यक्तियो के जीवन की उत्कृष्टता में निवारण करना एक जटिल और चुनौतीपूर्ण काम है। भारत सरकार ने विभिन्न श्रेणी की दिव्यांगता में से कुछ दिव्यांगता को अधिकारी रूप से सूचीबद्ध किया, ताकि जरूरतमंद व्यक्तियों की सरकारी सहायता की जा सके। सामाजिक न्याय एवं नि:शक्तजन कल्याण विभाग द्वारा 21 प्रकार के विकलांगताओं की सूची जागरूकता के लिए दिव्यांग अधिकार अधिनियम 2016 के तहत मान्यता प्रदान की गई है।

इन दिव्यांग बालकों को समाज में आर्थिक रूप से, सामाजिक रूप से, राजनीतिक रूप से, धार्मिक रूप से, व्यवसायिक रूप से, पारिवारिक रूप, वैवाहिक रूप तथा शैक्षिक रूप से आदि बहुत सी समस्याओं का सामना अपने व्यक्तिगत जीवन मे करना पड़ता है। आज सरकार ने दिव्यांग व्यक्तियों के लिए समावेशी शिक्षा का प्रावधान लाया है जिससे अधिक से अधिक दिव्यांग बच्चे लाभान्वित हो सके, इसके लिए परिवार के साथ-साथ एक शिक्षक का भी कर्तव्य है कि विकलांग बच्चों को अपने पाठशाला, विद्यालय और कक्षा में समायोजित होने तथा सामंजस बनाने के लिए उन्हें प्रेरित करें और उन्हे अपना पूर्ण सहयोग देते हुए सामान्य बच्चों की तरह आगे बढ़ाने में सहायता प्रदान करें। जीवन में आने वाली हर समस्याओं के समाधान के लिए उनके मनोबल को बढ़ावा देना चाहिए। साथ ही उन्हे हमेशा धैर्य, धीरज और संयम के साथ अपने समस्या पर विचार करके उसके समाधान हेतु उपाय ढूंढने में सहायता प्रदान करनी चाहिए। आज समाज के प्रत्येक मनुष्य का यह कर्तव्य है, कि उनकी जरूरतो और भावनाओं को समझें और उनके जीवन में आने वाली सारी समस्याओं का सामना आत्मबल एवं भरोसे के साथ करने हेतु बढ़ावा देना, सही रास्ता दिखलाते हुए अपने जीवन मे हमेशा सही मार्ग पर चलने, उन्नति करने और बेहतर जिंदगी जीने के लिए प्रेरित करें। संयुक्त राष्ट्र संघ ने एक एजेंडा तैयार किया, जिसमें वर्ष 2030 तक यह कोशिश रहेगी कि इस दौड़ती- भागती दुनिया की रफ्तार में कोई भी दिव्यांग पीछे ना रह जाए।

मैं उन सभी लेखकगणों की बहुत आभारी हूं जिन्होंने इस पुस्तक के वॉल्यूम एक (1) में विभिन्न समस्याओ को अपने अध्याय एवं आलेखों के द्वारा वर्णित किया जैसे - मानसिक समस्याएं, वैवाहिक समस्याएं, पारिवारिक समस्याएं, साहित्य में विकलांगता का अध्ययन, वर्तमान परिप्रेक्ष्य में दिव्यांग बालक, व्यावसायिक समस्याएं, कार्य स्थल पर आने वाली समस्याएं, शैक्षिक समस्याएं, दिव्यांग की समस्या और समाधान आदि विषयों पर विद्वानों के रूप में अपनी बहुमूल्य सोच और ज्ञान का योगदान दिया है। सुविज्ञजनों के संसाधनपूर्ण योगदान के बिना इस पुस्तक का प्रकाशन संभव ही नहीं होता। संपूर्ण प्रकाशन टीम को उनके समर्थन और सहयोग के लिए हार्दिक धन्यवाद। यह पुस्तक शोधार्थी, पाठकों को ‘वर्तमान समाज में दिव्यांग बालक की समस्या’ को समझने में सहायक सिद्ध होगी। यह ‘वर्तमान समाज में दिव्यांग बालक की समस्या’ संपादित पुस्तक साहित्य एवं शैक्षिक जगत को इस आशय के साथ प्रस्तुत कर रही हूं, कि इसमें प्रकाशित सभी अध्याय एवं आलेखों में अलग-अलग समस्याओं पर समाधान मिल सके। समीक्षाकों और आलोचकों से निवेदन है कि संपादित पुस्तक में कमी की तरफ इशारा करेंगे, तो अगली पुस्तक में सुधार करूंगी। 

Chapters

  • भारत में विकलांग लोगों की स्थिति
    डॉ. राजेश मौर्य
  • वर्तमान समाज में दिव्यांग बालकों की मानसिक समस्याएँ
    डॉ. तेजाराम नायक
  • वर्तमान समाज एवं दिव्यांगों की विवाह संबंधी समस्याएं
    डॉ. विनय प्रताप सिंह
  • कार्यस्थल पर दिव्यांग की समस्याएँ
    डॉ. विजय कुमार साहू
  • वर्तमान समाज एवं दिव्यांग बालक की शैक्षिक समस्याएं
    श्रीमती ममता पांडे
  • वर्तमान समाज में मन्द बुद्धि बालकों की प्रमुख समस्याएँ
    छाया साव
  • वर्तमान समाज और साहित्य में विकलांगता का अध्ययन
    नयना पहाड़िया
  • समाज की सोच और दिव्यांग बालक वर्तमान परिपेक्ष्य में
    डी. पी. कोरी, भारती कोरी
  • दिव्यांगता की समस्या एवं समाधान
    हेमलता वर्मा
  • वर्तमान समाज में दिव्यांग बालको की शैक्षिक स्थिति एवं समस्याये
    श्रीमती मेनका चंद्राकर
  • वर्तमान समाज और दिव्यांग बालक की व्यवसायिक समस्याओं का अध्ययन करना
    शत्रुघन पटेल
  • वर्तमान समाज एवं अस्थि बाधित बालक की बालक की समस्याएं
    डॉ. नम्रता माहेश्वरी
  • वर्तमान समाज में दिव्यांगों की परिवारिक समस्या
    प्रिया सिंह
  • दिव्यांगों की सामाजिक समस्या एक अध्ययन
    डॉ. प्राची अनर्थ

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Published

August 6, 2024

Details about this monograph

ISBN-13 (15)

978-81-974088-0-9