कोविड-१९ आपदा या अवसर

Authors

डॉ. विनय प्रताप सिंह ; श्री संजय कुमार साहू ; श्रीमती मेनका चंद्राकर ; डॉ. धरणी राय ; शत्रुघन पटेल ; डॉ. अमृता तिवारी ; डॉ. कल्पना सिंह ; माधुरी वर्मा ; अमित कुमार ; डॉ. अमित पटेल ; डॉ. हेमा तिवारी ; डॉ. तेजराम नायक ; आर. अबिषेक इजराइल ; Dr. Vipul Bhatt; Vibha Pundir; Dr. Vimmi Behal

Keywords:

कॉविड-१९, आपदा या अवसर, दवा उत्पादक क्षेत्र, राजनीती, दवा उत्पादक क्षेत्रों पर प्रभाव, राजनीती पर प्रभाव, नए आयाम, भारतीय अर्थव्यवस्था, विद्यार्थियों पर प्रभाव, शिक्षा पर प्रभाव, वैश्विक अर्थव्यवस्था, शिक्षकों पर प्रभाव, नवाचार, सामाजिक एवं आर्थिक विकास, ग्रामीण क्षेत्र, नवीन अवसर, शिक्षण विधिया, छात्रों के अध्ययन, आदतों पर प्रभाव, सामाजिक एवं आर्थिक विकास पर प्रभाव, Resilience and Transformation, Indian Economy, Impact of Covid on Indian Economy

Synopsis

दो शब्द। .....

तब कहाँ जानते थे हमारे पुरखे कि, वे बीमार क्यों पड़ते है ? दिनभर कंद-मूल खोजना और आखेट करना| प्रकृति की गोद में ही पैदा होना और उसी में पलना-बढ़ना, पता लगता था तो बीएस भूख और भोजन का, बाकी सब कुछ अनजान और अजूबा था| उनकी छोटी-सी दुनिया में रत के गहन अंधकार में गुफा में सो जाते और सुबह चिड़ियों की चहचहाहट के साथ उठ जाते हैं| तब उन्हें उस दुनिया तो पता ही नहीं था जिसे हम अपनी कोरी आँखों से देख ही नहीं सकते| वे तो केवल अपनी आँखों से दिखने वाले जिव जन्तु की दुनिया को ही जानते थे | हमारी नजरो से प्रे एक और अदॄश्य दुनिया थी-सूक्ष्म जीवों की दुनिया| सदियों गुजर चुकी थी रहस्यमय अज्ञात बीमारियां निरन्तर लोगों की जान ले रही थी| छोटी छोटी बीमारियों के आलावा कभी कभी बड़ी जानलेवा बीमारियों का प्रकोप होता जिनके कारण देखते ही देखते दो चार नहीं, बल्कि सैकड़ो हजारों लोगों की जान चली जाती| एसी स्थानीय या देश तक सिमित बीमारियों को महामारी कहा जाने लगा और देश की सीमाओं से बाहर दूसरे देशों तक पहुंचने वाली बीमारियां वैश्विकमहमारियाँ कहलायी|

इतिहास के आईने में महामारियाँ

रोम साम्राज्य में सन १६५ई। में जब निकर पूर्व के युद्ध लड़कर रोमन सेनाएँ लौटी तो उनके साथ एक बीमारी भी चली आई| जल्दी ही रोम समृह्य में एक अज्ञात वैश्विक महामारी फैल गई | शोध कर्ताओं का अनुमान है की वः बीमारी शायद चेचक रही होगी | तब वहाँ सम्राट मार्कश ओरेलिएश, एंटोनियश आगस्टष का राज था| यह वैश्विक महामारी जिसका तब कोई इलाज न था रोमन सेनाओं के साथ यूनान से लेकर पुरे रोम साम्राज्य में फ़ैल गई अनुमान है इससे करीब ५० लाख लोग मारे गए | जब यह महामारी चरम पर थी तो रह रोज करीब २००० लोग इसके शिकार हो रहे थे | खा जाता है की सम्राट आगष्टक की मृत्यु भी इसी महामारी से हुई |

वैश्विक महामारियां समय समय पर कदम आगे बढ़ती रहीं | वैश्विक महामारी का एक भयानक आक्रमण सन ५४१-४२ में बाइजेंटाइन साम्राज्य के साथ-साथ सैसेनियन साम्राज्य पर भी हुआ | यह "काली मौत" यानि बुबेनिक प्लेग की महामारी थी जिसने बाइजेंटाइन साम्राज्य की राजधानी में जनजीवन को तबाह कर डाला | वहाँ एक-एक दिन में ५००० लोग मृत्यु क अगरास बने | यह भूमध्यसागर के तट पर खड़े व्यापारिक जल पोतों में छिपे चूहों पर पल रहे पिश्यों से फैली थी |

इसके बाद एक बार फिर सन १३४६ से १३५३ तक बुबेनिक प्लेग का भयंकर प्रकोप हुआ | इस महामारी ने यूरोप, अफ्रीका और एशिया में मौत का भरी तांडव दिखाया | अनुमान है की इसके कारण विश्व में ७.५ से लेकर २० करोड़ तक लोगों के प्राण गए | यह वैश्विक महामारी एशिया में शुरू हुई और व्यापारिक जहाजों में छिपे चूहों के पिस्सुओं ने इसे तीनों महाद्वीपों में फैला दिया |

सन १९१०-११ में एक बार फिर हैजे की वैश्विक महामारी का आक्रमण हुआ | इसे हैजे की वैश्विक महामारी का छठा दौर मन जाता है | यह भारत से शुरू हुआ और मध्य अफ्रीका, पूर्वी यूरोप से रूस तक पहुँच गया | आज से ठीक सौ वर्ष पहले सन १९१८ से १९२० तक फैली फ्लू की वैश्विक महामारी ने दो करोड़ से पॉच करोड़ तक लोगों की जान ली थी | कहते है इससे विश्व की करीब एक-तिहाई आबादी पीड़ित हुई थी | फ्लू की इस महामारी की खासियत यह थी की इससे स्वस्थ और युवा लोग बुरी तरह से पीड़ित हुए, जबकि इससे पहले तक फ्लू किशोरों, उम्रदराज लोगों या कमजोर लोगों तथा बीमार लोगों को अपना शिकार बनता था | स्पनिश फ्लू से महात्मा गांधी भी पीड़ित हुए थे |

इसी वैश्विक महामारी में हिंदी के महान कवि सूर्यकांत त्रिपाठी निराला ने अपनी पत्नी को खो दिया था | निराला ने कहीं लिखा है कि तब गंगा में शव ही शव बहते हुए दिखाई देते थे क्योकि दाह-संस्कार के लिए ईंधन की कमी हो गई थी|

इन्फएन्जा की इस वैश्विक महामारी के ५१ वर्ष और सन १९१८-२० के भयानक 'स्पेनिश फ्लू' के बाद वर्ष २०१९ के अंतिम माह में भयानक जानलेवा कोविड-१९ फ्लू की वैश्विक महामारी का प्रकोप हो गया| यज महामारी कोरोना वायरक से फैली और चीन के वुहान शहर से शुरू हुई| इस वैश्विक महामारी के कारण विश्वभर में कई लाख लोग संक्रमित होकर कल के गाल में समै गए, जबकि लाखों लोगों की संख्या ने इस महामारी पर विजय हासिल की है| यह बीमारी कोविड-१९ शुरू हुई|

वर्तमान परिपेक्ष्य -

भारत में २२ मार्च २०२० को सुबह ७ से रत ९ बजे तक भारत के वर्तमान पधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने जनता कर्फ्यू के कारण जन जीवन में होने वाली बदलाव का अनुमान लगाना था या फिर कहे की यह एक प्रकार की आने वाली कुछ दिनों में होने वाली लॉकडाउन के लिए लोगों को आगाह करना था| इसके पश्चात मोदी जी ने आने वाली दिनों में होने वाले लॉकडाउन के लिए आवश्यक सेवाओं से जुड़े लोगों या संस्थाओं जैसे पुलिस, चिकित्सा सेवाएं मिडिया, होम डिलिवरों पेशेवरों और अग्नि सामकों के छोड़कर प्रत्येक व्यक्ति को कर्फ्यू का पालन करना अनिवार्य था| इसी दिन शाम के पांच बजे नागरिकों को अपने दरवाजे बालकनियों या खिड़कियों पर खड़े होकर आवश्यक सेवाओं से जुड़े पेशेवरों के प्रोत्साहन के लिए ताली या घंटी बजाने को खा गया था| राष्ट्रिय कैडेड कोर और राष्ट्रिय सेवा योजना से संबंधित लोगों को देश में कर्फ्यू लागु करना था|

सम्पूर्ण लॉकडाउन कई चरणों में हुआ प्रथम चरण २५ मार्च २०२० से १४ अप्रैल २०२० (कुल २१ दिन) के लिए किया गया था | इस दौरान लोगों को अपने घरों से बाहर निकलना निषेध किया गया | सभी परिवहन सेवाए सड़क वायु और रेल निलंबित किया गया | हालांकि आग पुलिस जरूरी सामान और आपातकालीन सेवाओं का उपयोग किया जा सकेगा

खाद्य दुकान बैक और ए. टी. एम्. पेट्रोल पंप अन्य आवश्यक वस्तुएं और विनिर्माण जैसी सेवाओं के छूट दी गई है | शैक्षक संस्थानों, ओद्योगिक प्रतिष्ठानों और आतिथ्य सेवाओं को निलंबित क्र दिया गया| गृह मंत्रालय ने कहा कि जो व्यक्ति लॉकडाउन का पालन नहीं करेंगे उन्हें एक साल तक जेल भी की जा सकती है| इस दौरान संपूर्ण शैक्षिक संस्थाओं को बंद रखा गया और पूरा जन जीवन अस्त व्यस्त हो गया| शासकीय एवं अशासकीय संस्थानों में कार्यरत शिक्षक कर्मचारी बच्चे, मजदूर सभी इस लॉकडाउन से प्रभावित हुए|

इसी क्रम में द्वितीय चरण का लॉकडाउन १५ अप्रैल २०२० से ३ मई २०२० (कुल १९ दिन) का जुआ| इस लॉकडाउन के दौरान लोगों की आजीविका पर प्रश्नचिन्ह लग गया| कई मजदूर एवं कुशलकर्मी जो कि अपने निवास स्थान से दूर अन्य राज्यों देशों में बसे थे वे दाने-दाने के लिए मोहताज हो गए| चूँकि परिवहन का कोई वैकल्पिक साधन नहीं था इसलिए जनजीवन अपने घरो के लिए पैदल ही निकल पड़े| इस बीच कई बेगुनाह भूख प्यास थकान चिन्ता के कारण मरे गए तथा जो बच गए उनके लिए आने वाली चुनौतियां दूभर हो गईं|

इसी कर्म में तृतीय चरण का लॉकडाउन ४ मई २०२० से १७ मई २०२० (१४ दिन) चतुर्थ चरण १८ मई २०२० से ३१ मई २०२०
(१४ दिन) एवं पंचम चरण १ जून २०२० से ३० जून (३० दिन) का हुआ |

इस विश्वव्यापी महामारी कोरोना के कारण सम्पूर्ण मानव जीवन पूर्ण रूप से प्रभावित हुआ| देश-विदेशों में पढ़ने एवं काम करने गए लोग वहीं फंस गए क्योंकि लॉकडाउन के समय सरकार ने अन्तर्राष्ट्रीय परिवहन सेवाओं को पूर्ण रूप से बन्द कर दिया|

 

Chapters

  • कोविड-१९ आपदा या अवसर
    डॉ. विनय प्रताप सिंह
  • कोविड-१९ का दवा उत्पादक क्षेत्रों पर प्रभाव
    श्री संजय कुमार साहू
  • कोविड-१९ का राजनीती पर प्रभाव और नए आयाम
    श्रीमती मेनका चंद्राकर
  • कोविड-१९ का भारतीय अर्थव्यवस्था पर प्रभाव
    डॉ. धरणी राय
  • कोविड-१९ का विद्यार्थियों पर प्रभाव और नवीन ज्ञान का अवसर
    शत्रुघन पटेल
  • कोविड-१९ शिक्षा पर प्रभाव और नवीन आयाम
    डॉ. अमृता तिवारी
  • कोविड-१९ वैश्विक अर्थव्यवस्था पर प्रभाव
    डॉ. कल्पना सिंह
  • कोविड-१९ का शिक्षकों पर प्रभाव एवं नवाचार
    माधुरी वर्मा
  • कोविड-१९ का सामाजिक एवं आर्थिक विकास पर प्रभाव
    अमित कुमार
  • कोविड-१९ का ग्रामीण क्षेत्रों पर प्रभाव और नवीन अवसर
    डॉ. अमित पटेल
  • कोविड-१९ का शिक्षण विधियों पर प्रभाव
    डॉ. हेमा तिवारी
  • कोविड-१९ का छात्रों के अध्ययन आदतों पर प्रभाव
    डॉ. तेजराम नायक
  • कोविड-१९ का सामाजिक एवं आर्थिक विकास पर प्रभाव
    आर. अबिषेक इजराइल
  • Resilience and Transformation: Analyzing the Impact of COVID-19 on the Indian Economy
    Dr. Vipul Bhatt, Vibha Pundir
  • Impact of Covid on Indian Economy
    Dr. Vimmi Behal

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Published

September 21, 2024

Details about this monograph

ISBN-13 (15)

978-81-974990-9-8