बकरी पालन : आर्थिक समृद्धि का आधार

Authors

डॉ. धर्मेंद्र कुमार
डॉ. अंजनी कुमार

Keywords:

बकरी पालन क्यों ?, बकरीया की प्रमुख नस्लें, बकरी की जीवन चक्र, बकरी की जनन समस्याएं, बकरी का आहार प्रबंधन, बकरी का आवास प्रबंधन, बकरी की बीमारियाँ, बकरी की बीमारियाँ और उनके निदान, अच्छी बकरी की पहचान, बकरी पालन में नुकसान, बकरी पालन में नुकसान के कारण, बकरी में खुर प्रबंधन, बकरी पालन में ठण्ड के मौसम की सावधानियाँ, बकरी फार्म में होनेवाले प्रमुख कार्य, बकरी खरीदने से पहले पूछे जाने वाले प्रश्न, बकरी पलकों के लिए उपयोगी नयी तकनीक, बकरी पलन की आर्थिकी

Synopsis

हमारे देश में आर्थिक दृष्टि से उपयोगी पशुओं में बकरी का महत्वपूर्ण स्थान है. क्योंकि बकरी पालन से ऐसे लोग जुड़े है जो आर्थिक एवं सामाजिक दृष्टि से पिछड़े हुए है. इनमे प्रमुख रूप से भुमिहीन मजदूर, छोटे एवं सीमांत किसान आते है. छोटा आकार एवं शांत प्रकृति के होने के कारण इसके रहने की जरूरत एवं प्रबंधन आसान होती है. इनको रखने के लिए कम जगह की आवश्यकता होती है । बकरी दोस्त जैसा होती है एवं आदमी इनके साथ खेलते है । ये हर प्रकार के जलवायु में रह सकते है। किसी भी अन्य पशु की तुलना में दाना-पानी  कम खाते कहै. बकरी हर प्रकार के पेड़ पौधे व झाड़ियों को खा सकते है. यह ज्यादा बच्चा देती है: बकरी बच्चा जनने की लिए जल्दी तैयार हो जाती है. 8-10 महीने में परिपक्व हो जाती है, गर्भावस्था 5 महीने की होती है, 14-15 महीने मई दूध देने लगती है, डेढ़ साल में दो बार बच्चे जन्म देतें हैं। यह ज्यादातर एक बार में दो बच्चे देती है कभी-कभी तीन या चार बच्चे भी देती है। सुखें की स्थिति में दूसरे पशु के अपेक्षाकृत कम जोखिम है। इसमें नर एवं मादा दोनों की बराबर महत्व है।  बकरी जमीन की उत्पादकता बढ़ाती है एवं घास को कम करती है। आज कल उच्च शिक्षा ग्रहण करने के वाबजूद भी रोजगार उपलब्ध नहीं हो प् रहा है. बकरी पालन एक ऐसा व्यवसाय है जिसे शुरू करने के लिए न तो अधिक पूंजी की आवश्यकता होती है और नहीं अधिक भूमि की. इसको बेचने की सुबिधा होने के कारन आज बकरी पालन व्यवसाय का रूप ले चूका है.

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Published

January 10, 2021

Details about this monograph

ISBN-13 (15)

978-93-90847-23-5